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कृष्ण-रुक्मणी विवाह प्रसंग में जमकर झूमे श्रद्धालु

Devotees dance fiercely in Krishna-Rukmani marriage ceremony

सूरत। सूरत में श्री सूरत सेवा समिति के तत्वाधान में पर्वत पाटिया स्थित श्री माहेश्वरी सेवा सदन में श्रीकृष्ण कथा में अंतिम दिन कथा शुरू होने से लेकर अंत तक श्रद्धालु संगीतमय भक्तिरस में डूबे रहे। विभिन्न प्रसंगों के वाचन के दौरान बीच-बीच में भजनों की गंगा प्रवाहित होती रही। इस दौरान कृष्ण-रुकमणी की सजीव झांकी सजाई गई तथा संगीतमय भजनों पर महिला श्रद्धालु मंत्र मुग्ध होकर जमकर झूमी। व्यास पीठ से कन्हैया लाल पालीवाल प्रभु प्रेमी जी ने भगवान कृष्ण के मथुरागमन, उद्धव चरित्र, रूक्मणी विवाह, सुदामा चरित्र आदि प्रसंगों का वर्णन किया।

सुदामा चरित्र कथा का वर्णन करते हुए कथा वाचक कहा कि, कृष्ण और सुदामा जैसी मित्रता आज कहां है। यही कारण है कि आज भी सच्ची मित्रता के लिए कृष्ण-सुदामा की मित्रता का उदाहरण दिया जाता है। द्वारपाल के मुख से सुदामा सुनते ही द्वारिकाधीश नंगे पांव मित्र की अगवानी करने पहुंच गए। लोग समझ नहीं पाए कि आखिर सुदामा में क्या खासियत है कि, भगवान खुद ही उनके स्वागत में दौड़ पड़े। श्रीकृष्ण ने स्वयं सिंहासन पर बैठाकर सुदामा के पांव पखारे। कृष्ण-सुदामा चरित्र प्रसंग पर श्रद्धालु भाव-विभोर हो उठे।

महाराज ने कहा कि भगवान की शरण में कोई आ जाए तो भगवान उसे मन का सौन्दर्य प्रदान करते है। जिसके पास यह होता है वह अपने चित से अन्य को आकर्षित करता है। भगवान उनके पास किसी जीव के आने पर उसके मन के विकार को खत्म कर देते है। श्री सूरत सेवा समिति के जगदीश कोठारी ने श्रीकृष्ण कथा को सफल बनाने के लिए सभी भक्तों और सहयोगियों का आभार व्यक्त किया।

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श्रीकृष्ण जन्म प्रसंग सुन भाव-विभोर हुए श्रद्धालु

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